इससे समस्या और उसका समाधान, दोनों ही आपके हाथ में होते हैं।

कानून इसे मानता है और न्यायालय इसका प्रोत्साहन और समर्थन करते है।

आपसी सम्पर्क, बातचीत और समझ बढ़ाने के अवसर मिलते हैं जो कि शायद आपको पहले नहीं मिले।

यह प्रक्रिया गोपनीय भी है और सरल भी, साथ ही महौल अनौपचारिक रहता है।

इस विकल्प का चुनाव आप अपनी इच्छा से करते हैं... और हल न मिलने पर स्वेच्छा से छोड़ भी सकते हैं।

इससे कीमती समय बचता है और आप भाग - दौड़ से भी बचते हैं।

लम्बी मुकद्दमेबाज़ी पर होनेवाले खर्च से भी छुटकारा मिलता है।

यह प्रक्रिया आपके पक्ष की ताकत व कमज़ोरी को दिखाती है जिस से आपकी समस्या का सही समाधान मिल सकता है।

यह प्रणाली आपके दूरगामी हित का सोचती है और आपसी समझौते की कई सम्भावनाएँ दिखाती है।

इससे आपके रिश्ते एक बार फिर जुड़ते हैं - इसका उद्देश्य भविष्य को संवारना है, बीते कल को कुरेदना नहीं।

आप समझौते पर हस्ताक्षर करके स्वयं व विपक्ष को अपेक्षा से अधिक लाभ कराते हैं।

मथ्यस्थता की समाप्ति पर विरोध अक्सर मित्रता में बदल जाता है और आप अपने नये मित्र को सुख और समृद्धि की शुभकामना देते हैं।