भारतीय न्यायपालिका एवं विधि व्यवसाय ने मध्यस्थता की पुष्टि तथा समर्थन किया है | इसके परिणामस्वरुप न्यायालय से जुड़े मध्यस्थता केन्द्रों की स्थाफ्ना संस्थागत योजनाओं के रूप में हुई है |
समाधान के रूप में जाने जानेवाले दिल्ली उच्च न्यायालय मध्यस्थता एवं सुलह केन्द्र की स्थापना मई 2006 में हुई थी | यह दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायधीशों एवं अधिवक्ताओं की संयुक्त पहल का परिणाम है जिन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान की एक युक्तियुक्त प्रणाली के रूप में मध्यस्थता हेतू स्वयं को प्रतिबद्ध किया है | यह अधिवक्ताओं द्वारा संचालित किया जाता है एवं इसका समन्वय एक आयोजक सचिव करते हैं | इस केन्द्र के कार्य का निरीक्षण न्यायाधीशों एवं वकीलों का एक पैनल करता है | केन्द्र को गर्व है कि इसके पास उच्च स्तरीय अर्हता एवं अनुभव वाले मध्यस्थ हैं जो दिल्ली उच्च न्यायालय विधिज्ञ संगम के सदस्य है | केंद्र के पास बार के सदस्यों में से प्रशिक्षित मध्यस्थों की एक सूचि होती है जिनकी सेवाएं केन्द्र को निर्देशित विवादों हेतु उपलब्ध होती है |
केन्द्र की मध्यस्थता सेवाएं पक्षकारगण द्वारा सीधे अथवा न्यायालय के निर्देश पर ली जा सकती हैं| न्यायालय के निदेश पर मध्यस्थता को निर्देशित विवाद न्यायालय-उपाबंधित मध्यस्थता कहलाते हैं | केन्द्र की सेवाएं मुकदमा- पूर्व विवाद (अर्थात वो मामले जो न्यायालय में न हो) तथा न्यायालय में लंबित विवादों हेतु उपलब्ध हैं |
केन्द्र दिल्ली उच्च न्यायालय, इसके अधीनस्थ न्यायलयों एवं भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसको निर्देशित किये गये मुकदमों को देखता है | केन्द्र ने व्यवसाय संविदा/संव्यवहार, भूमि संपदा एवं निर्माण, उपभोक्ता समस्याएं, रोजगार एवं नौकरी समस्याएं, औद्योगिक विवाद, बैंकिंग एवं बीमा मुकदमें, व्यापार चिन्ह एवं प्रतिलिप्याधिकार विवाद, दुर्घटना संबंधी दावे, मकान मालिक एवं किरायेदार के विवाद, साझेदारी विवाद, परिवार एवं शादी विवाह के विवाद, शिशु अभिरक्षा एवं मुलाकात का हक़, बंदी प्रत्यक्षीकरण के मामलों में सत्यापन, इत्यादि मामलों को सम्मलित करते हुए विभिन्न प्रकार के मुकदमों को देखा है | सार्वजानिक क्षेत्रक उपक्रम तथा सरकारी विभाग एवं संस्थाओं ने भी इसमें भाग लिया है | समाधान ने बड़े अच्छे परिणाम देखें हैं | 18 महीनों में लगभग 300 मुकदमें में जो दिल्ली उच्च न्यायालय एवं भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित थे का निपटान हुआ एवं इन निपटारों ने भिन्न न्यायालयों में लंबित 400 से अधिक संबंधित मुकदमों का समाधान कर दिया है | इन प्रयासों की अति प्रशंसा की गई है |
केंद्र दिल्ली उच्च न्यायालय विधिज्ञ संगम के सदस्यों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर मध्यस्थों के प्रशिक्षण का जिम्मा उठाता है |
केंद्र, जहाँ भी आवश्यकता हो एवं वांछनीय हो, किसी योग्य पेशेवर अथवा कल्याण विशेषज्ञ की सेवाएं उपलब्ध कराता है जो उसे निर्दिष्ट विवाद के सर्वोत्तम संभव समाधान को सुनिश्चित करने के लिए मध्यस्थ के साथ मध्यस्थता प्रक्रिया में सहायता करता है| केंद्र ऐसे पेशेवरों का एक पैनल बनाए रखता है|
परिचय
दिल्ली उच्च न्यायलय मध्यस्थता केंद्र का नाम उपयुक्तता से ‘Samadhan’ रखा गया, जिसका अर्थ है ‘समाधान’| ‘Samadhan’ शब्द दिल्ली उच्च न्यायालाय मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र के उद्देश्य को मुकद्दमा करने वाले लोगों को उनके विवादों के मैत्रीपूर्ण समाधान में उपचारात्मक तरीके के एक मुख्य स्रोत के रूप में उपयुक्त रूप से दर्शाता है |
समाधान अधिवक्ताओं एवं न्यायाधीशों की संयुक्त समिति जो इसके समस्त क्रियाकलापों का निर्बाध समन्वय एवं निरीक्षण कर रही है के द्वारा चलाया जाता है| इसने विवाद करने वालों के बीच विश्वास के नए पुल बनाए हैं | यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि इसने अधिवक्ता एवं न्यायपीठ के मध्य एक महत्त्वपूर्ण एवं अनूठा सहयोग बनाया है जो विवाद करने वालों को उनके विवादों को परस्पर सुलझाने एवं उनके जीवन में शांति व् समरसता स्थापित करने की शक्ति प्रदान करने में सक्षम रहा है | पिछले दस वर्षों में samadhan ने झगडे की अनुभूति, विवादों के निपटारे तथा न्याय को बांटने में बदलाव का काम किया किया है| इसने हमारे उच्च न्यायालय के में विवाद समाधान प्रक्रिया में सर्वोच्च स्थान ग्रहण किया है जहाँ परामर्श न केवल हमारे न्यायालय से बल्कि सर्वोच्च न्यायालय एवं अन्य न्यायाधिकरणों से भी आते हैं|
आज, इसके आरम्भ से ग्यारहवें वर्ष में samadhan ने स्वयं को देश के एक प्रमुख मध्यस्थता केन्द्रों के रूप में स्थापित किया है | विवाद समाधान की एक उपयुक्त प्रक्रिया के रूप में मध्यस्थता की स्वीकार्यता इस बात से स्पष्ट है कि प्रत्येक कार्य दिवस पर samadhan के मध्यस्थों के समक्ष 80 से अधिक मुकद्दमे सूचीबद्ध होते है|
हमने अपनी यात्रा मई, 2006 में आरम्भ की जब दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने samadhan की अवधारणा की ओर पहला साहसिक कदम उठाया| यह एक साहसिक कदम था क्योंकि मध्यस्थता के विचार ने अधिवक्ताओं के कड़े विरोध का सामना किया जिन्हें प्रारंभ में यह आशंका थी कि इससे उनका कार्य प्रभावित होगा| अधिवक्ताओं की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय विधिज्ञ संगम के तत्कालीन अध्यक्ष श्री. अमरजीत सिंह चंडोक, samadhan के सिद्धांत की स्थापना में न्यायमूर्ति काटजू के साथ शामिल हुए एवं उन्हें आश्वस्त किया कि यह प्रयोग सफल रहेगा यदि samadhan अधिवक्ताओं द्वारा चलाए जाने वाले मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित होता है| आज उसी बार को इस मध्यस्थता केंद्र पर बहुत गर्व है और प्रत्येक अधिवक्ता मध्यस्थता को उन समस्त मामलों में जो कभी मुकद्दमेबाज़ी में नहीं होने चाहियें विवाद समाधान की एक सर्वाधिक उपयुक्त प्रक्रिया के रूप में महत्ता देता है |
Samadhan ने विवाद करने वालों के मध्य विश्वाश के नए पुल बनाए हैं| यह संभव हुआ है क्योंकि हमने अधिवक्ता एवं न्यायपीठ के बीच एक महत्त्वपूर्ण एवं अनूठा सहयोग बनाया है | हम साथ मिलकर विवादियों को उनके झगड़ों के मैत्रीपूर्ण समाधान तथा उनके जीवन में शांति एवं समन्वय प्राप्त करने हेतु समर्थ बनाने योग्य हुए हैं| पिछले दस वर्षों में samadhan ने झगडे की अनुभूति, विवादों के निपटारे तथा न्याय को बांटने में बदलाव का काम किया है| इसने हमारे उच्च न्यायालय के तत्त्वाधान में विवाद समाधान प्रक्रिया में सर्वोच्च स्थान ग्रहण किया है| हमारे पास परामर्श न केवल हमारे न्यायालय से बल्कि सर्वोच्च न्यायालय एवं अन्य न्यायाधिकरणों से भी आते हैं|
samadhan के 265 मध्यस्थों के द्वारा बौद्धिक सम्पदा अधिकार, विवाह सम्बन्धी विवाद, भू-सम्पदा के मामले, निर्माण-कार्य सम्बन्धी करार, रोजगार एवं नौकरी विवाद, औद्योगिक विवाद, बैंक तथा बीमा विवाद तथा बहुत से अन्य व्यावसयिक विवाद जैसे विभिन्न प्रकार के विवादों का समाधान किया गया है|
समाधान विवादों के स्थाई निपटान तथा लोगों के जीवन में शांति तथा सामंजस्य तलाशने में मुख्य स्रोत के रूप में इसकी बढती मान्यता के लिए समाज तथा दिल्ली के लोगों का आभारी है|
आरम्भ
समाधान की कार्य पद्धति तैयार करने के लिए पहली प्रशिक्षण कार्यशाला 17 मार्च से 19 मार्च, 2016 को आयोजित हुई| मध्यस्थता के लिए अधिवक्ता तथा न्यायपीठ की संयुक्त प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों एवं अधिवक्ताओं को शामिल करते हुए samadhan की गतिविधियों के निरंतर समन्वय तथा निरीक्षण हेतु एक निरीक्षण समिति गठित की गई| यह प्रशासनिक ढांचा आज तक जारी है|
प्रथम प्रशिक्षण के पश्चात समाधान का औपचारिक उदघाटन 26 मई, 2006 को हुआ| हमने अपना कार्य ग्राउंड फ्लोर पर दो छोटे कमरों के साथ प्रारंभ किया| इन दो कमरों के बीच एक छोटा स्वागत स्थल था जहाँ वकीलों तथा पक्षकारों के खड़े होने की जगह भी मुश्किल से थी| बहुत ही थोड़े समय में, मध्यस्थता कक्ष लेने हेतु अपनी बारी का इंतज़ार करने के लिए पक्षकारों तथा वकीलों की छोटी पंक्तियाँ बननी शुरू हुईं |
7 जनवरी, 2008 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री के. जी. बालाकृष्णन ने इसका नाम तथा चिन्ह जारी किया| उन्होंने जनता तथा बार के लिए मध्यस्थता के लाभ, मध्यस्थता संचालित करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय नियम तथा केंद्र की कार्य पद्धति पर प्रकाश डालने वाली जागरूकता सामग्री जारी की|
प्रगति
जनवरी, 2008 में समाधान ने मध्यस्थता बैठक हेतु छः अतिरिक्त कमरे जोडे, स्टाफ के लिए एक कमरा तथा एक अलग स्वागत स्थान| जैसे ही मध्यस्थता ने गति पकड़ी और भेजे गए मुकद्दमों की संख्या बढ़ी, मध्यस्थता चलाने के लिए मध्यस्थों हेतु बहु उद्देशीय सभा कक्ष सहित सात अन्य कमरों वाला एक अन्य मंजिल जोड़ा गया |
जैसे जैसे न्यायालयों से परामर्श की संख्या बढ़ती गई, समाधान का आगे विस्तार किया गया| जनवरी, 2013 में दिल्ली उच्च न्यायालय के प्रशासनिक खंड के चौथे तल पर 8500 वर्ग फीट क्षेत्रफल वाला एक अन्य मंजिल जोड़ा गया| इस विस्तार ने समाधान को एक अत्याधुनिक मध्यस्थता केंद्र बनाया| नए तल पर एक विशाल स्वागत कक्ष, प्रशासनिक कक्ष, पुस्तकालय, मध्यस्थता हेतु 12 कमरे, समाधान के पैनल वाले मनोवैज्ञानिकों तथा परामर्शदाताओं के लिए एक कमरा, जब वयस्क पक्षकार मध्यस्थता में हों तो बच्चों के खेलने तथा समय बिताने के लिए एक कमरा हैं| पक्षकारों के लिए दो प्रेतीक्षालय हैं|
2017 में उन विवादी पक्षकारों की सुविधा के लिए, जो विभिन्न कारणों जैसे शारीरिक विकलांगता, वित्तीय बाध्यता या भौगौलिक फ़ासलों के कारण मध्यस्थता की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में आने में असमर्थ हैं, विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग सुविधा शामिल की गई|
समाधान में न केवल मूलभूत सुविधाओं का विकास हुआ बल्कि इसके माध्यास्थों के अनुभव तथा उनकी कुशलता में भी विकास हुआ| इस विकास को हमारे न्यायाधीशों द्वारा अत्यंत प्रोत्साहन दिया गया|
डॉ. न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सर्वोच्च न्यायालय में लोक अदालत आन्दोलन में हमारी सहभागिता प्रारंभ की| उन्होंने हमारे मध्यस्थों को न्यायमित्र के रूप में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की लोक अदालत में सहायता प्रदान करने में शामिल किया| समाधान ने न्यायमूर्ति पसायत के कार्यकाल में बाहर के पक्षकारों की दिल्ली में आतिथेयी की, प्रत्येक लोक अदालत से दो दिन पूर्व मध्यस्थता सत्र चलाए तथा छः लोक अदालतों के दौरान समझौतों को अंतिम रूप दिया |
न्यायमूर्ति मुकुंदकम शर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में केंद्र को दिए जाने वाले परामर्शों में वृद्धि कर मध्यस्थता क्रिया को प्रोत्साहन दिया जिस कारण मध्यस्थों ने महत्त्वपूर्ण अनुभव तथा आत्म विश्वास प्राप्त किया तथा अपनी योग्यता को बढाया| उन्होंने केंद्र में निरंतर बढ़ने वाले मुकद्दमों हेतु अतिरिक्त आधारभूत सुविधाएँ प्रदान कीं|
न्यायमूर्ति विजेंद्र जैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान मध्यस्थता आन्दोलन का समर्थन किया तथा इस पहल को पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ले गए जहाँ उन्होंने न्यायालय से जुडी मध्यस्थता की स्थापना की| न्यायमूर्ति विजेंदर जैन ने समाधान से मध्यस्थों को प्रथम बार पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय के मध्यस्थों के प्रथम बैच हेतु प्रशिक्षक बनने का सुअवसर प्रदान किया|
न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन, निरीक्षण समिति के प्रथम अध्यक्ष ने अपनी समिति के सभी सदस्यों सहित अपने प्रारंभी वर्षों में केंद्र के विकास को सक्रिय रूप से मार्गदर्शित किया, जिन्होंनें बाद में जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय में बतौर मुख्य न्यायाधीश तथा लोकायुक्त, दिल्ली का पदभार संभाला|
न्यायमूर्ति ए.पी.शाह, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर हमारे दूरदर्शी तथा प्रेरक थे तथा सहायता एवं शक्ति के महान स्रोत थे| न्यायमूर्ति शाह ने निरीक्षण समिति तथा समाधान के सभी मध्यस्थों को अपनी बतौर मुख्य न्यायाधीश की अवधि के दौरान प्रोत्साहित किया| न्यायमूर्ति शाह ने यह सुनिश्चित किया कि समाधान ने अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचा तथा सुविधाएँ विकसित की हैं| उनके कार्यकाल में सूची में सम्मिलित मध्यस्थों की संख्या 200 अंकों को पार कर गई थी| उनके नेतृत्व में ही दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवा के सदस्यों को रेफरल न्यायाधीशों के रूप में संवेदनशील बनाने हेतु कार्यशालाएँ आयोजित की गई थीं|
न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल, हमारी निरीक्षण समिति के दूसरे अध्यक्ष ने समाधान को लगातार प्रोत्साहित तथा समर्थित करने का हर तरीके से प्रयास किया| बाद में, पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उन्होंनें पंजाब तथा हरियाणा जिलों के अधिवक्ताओं तथा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मध्यस्थों के प्रारंभिक तथा अग्रवर्ती प्रशिक्षण हेतु समाधान से प्रशिक्षकों को बुलाया|
न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी, निरीक्षण समिति के तीसरे अध्यक्ष, जो इस समय भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हैं, समाधान से प्रारंभ से ही जुड़े थे तथा मध्यस्थता को नया करने में मदद करने तथा उसके भारतीयकरण में हमारे सहायक रहे ताकि ‘विश्वव्यापी’ तथा ‘स्थानीय’ चुनौतियों का प्रभावशाली रूप से सामना करने में हमारा दृष्टिकोण और अधिक प्रबल बन सके|
न्यायमूर्ति संजय किशन कॉल, हमारे चौथे अध्यक्ष, जो अब भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हैं, ने 2013 में हमें हमारा तीसरा विस्तार दिया था जिसके पश्चात् समाधान की तीव्र अति तीव्र बढ़ोतरी हुई| न्यायमूर्ति कॉल अधिवक्ता की मध्यस्थता केंद्र को चलाने की ताकत में अत्यंत विश्वास रखते थे तथा उन्होंनें यह सुनिश्चित किया कि समाधान के मध्यस्थों को न केवल भारत बल्कि संयुक्त राज्यों में भी उत्तम प्रशिक्षण तथा अनावरण मिले|
न्यायमूर्ति गीता मित्तल, हमारी पाँचवी अध्यक्ष तथा वर्तमान में दिल्ल्ली उच्च न्यायालय की कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने सदैव से ऐसा विश्वास रखा कि उनके अनुभव में मध्यस्थता हेतु उचित मामलों में पक्षकार अपने जीवन में वास्तविक सुख केवल इसी प्रक्रिया के द्वारा पाते हैं क्योंकि यह वह है जहाँ वे वास्तव में कर्ता होते हैं तथा अपने समाधानों के स्वयं मालिक होते हैं| अतः उन्होंनें अपने न्यायालय में सदैव ही पक्षकारों को मध्यस्थता हेतु तैयार करने की ज़्यादा ज़िम्मेदारी ली|
न्यायमूर्ति जी.एस.सिसतानी, हमारे वर्तमान तथा छठे अध्यक्ष समाधान को श्रेष्ठता के सर्वोत्तम स्टार तक बतौर मॉडल मध्यस्थता केंद्र ले जाने हेतु समर्पित हैं| वह पहले से ही गतिविधियों तथा कार्यक्रमों की योजना बना रहे हैं जो कि समाधान के 11वें वर्ष में मध्यस्थता की जागरूकता फैलाएगी| न्यायालय से जुड़े मध्यस्थता के पहलुओं की योजना बनाई जा रही है| इनमें कॉलेजों तथा पब्लिक स्कूलों में संप्रदाय मध्यस्थता तथा समकक्ष मध्यस्थता कार्यक्रमों को भी सम्मिलित किया गया है|
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